दुखद समाचार देते हुए बहिन का बड़े भाई को पत्र
अलीगढ़।
दिनांक 3 सितंबर,
आदरणीय भाई साहब,
सादर नमस्ते ।
दो दिन पूर्व आपका पत्र मिला, कुशल समाचार पाकर बड़ी खुशी हुई । बहुत दिनों से आपके दर्शन नहीं हुए । मिलने के लिए मन लालायित है । सप्ताह यदि आपका समाचार मिले बिना बीत जाए तो मन व्याकुल हो उठता है । शीघ्र ही अपने कुशलक्षेम से अवगत कराते रहा करो ।
आपने लिखा है कि कुछ दिनों के लिए मैं मुंबई आ जाऊँ। सोचती तो मैं भी हूँ, पर भैया बच्चों की पढ़ाई के कारण यहाँ से निकलना नहीं हो सकता। फिर कभी छुट्टियों के लिए आपके इस स्नेह निमंत्रण को संभालकर रखती हूँ। यदि उस समय आपको और भाभी को सुविधा हुई तो मैं अवश्य आपके दर्शन करूँगी। आशा है, कपिल स्वस्थ होगा। उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है ? भाभी जी की तबियत कैसी है ? उनके स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखना ।
अब मैं एक दुखद समाचार दे रही हूँ। कल आपके परम मित्र अविनाश जी का कार दुर्घटना में देहावसान हो गया । घर में वृद्धा माँ, पत्नी और दो बच्चों को बिलखता छोड़ गए । परिवार पर तो जैसे बिजली ही गिर पड़ी । आजकल आपका आना तो असंभव-सा हो, किंतु पत्र डालकर उन्हें ढाढस बंधाइएगा ।
प्रतिभा और सरला आप दोनों को नमस्कार करती हैं और कपिल को मदुल प्यार । आपके जीजा जी आपको नमस्ते लिखवा रहे हैं।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।
आपकी छोटी बहिन,
नूपुर