पिता जी को छात्रावास-जीवन के संबंध में पत्र ।
डी. ए. वी उच्चतुम माध्यमिक विद्यालय
दरियागंज, नई दिल्ली-2 ।
दिनांक 8 जुलाई, …..
पूज्य पिता जी,
आज ही आपका पत्र मिला। समाचार से अवगत हुआ। अब मेरे विषय में चिंतित रहने की आवश्यकता नहीं है । कछ घंटे पूर्व ही मुझे विद्यालय के छात्रावास में स्थान मिल गया है । यहाँ का छात्रावास अपने ढंग का निराला ही है। इसका परिचय पाकर आप अवश्य ही संतुष्ट हो जाएंगे।
हमारे छात्रावास का निर्माण इसी वर्ष जून मास में हुआ है । इसमें अभी केवल 70 शिक्षार्थियों के रहने का प्रबंध है । इसमें शिक्षार्थियों के आवास के लिए केवल 35 कक्ष बने हुए हैं, प्रत्येक कक्ष में दो शिक्षार्थी रह रहे हैं । मेरा साथी मेरा ही सहपाठी है । सौभाग्य से दोनों की प्रकृति भी मिलती है । छात्रावास के प्रबंधक श्रीयुत अग्रवाल साहब बड़े ही योग्य एवं विनोद प्रकृति के व्यक्ति हैं । शिक्षार्थियों की सुविधा और हित के लिए हर समय तैयार रहते हैं। यहाँ का वातावरण बड़ा ही शांतिप्रिय है। किंतु छात्रावास के नियम बहुत ही सख्त हैं । कोई भी शिक्षार्थी नियमित कार्यक्रम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर सकता है । अध्ययन, क्रीड़ा, भोजन और शयन सबका समय निश्चित है । छात्रावास में स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार मिलता है। हमारे छात्रावास के प्रबंध क श्री अग्रवाल साहब के आदर्श चरित्र की छाप हम सब पर पड़ रही है । मेरा तो ऐसा विश्वास है कि उनके संपर्क में आकर दुष्ट से दुष्ट शिक्षार्थी भी कुछ ही दिनों में आदर्श शिक्षार्थी बन सकता है । आप निश्चित रहें, ऐसी पुनीत आत्मा की छत्र-छाया में रहकर मैं अपनी शिक्षा-दीक्षा का कार्य सुंदर ढंग से चला सकूँगा।
माता जी को प्रणाम और ज्योत्स्ना को मृदुल प्यार कहें ।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
मनमोहन