विदेश मे रह रहे पुत्र का पिता को अध्ययन के संबंध मे पत्र
2350, चूनामंडी,
पहाड़गंज,
नई दिल्ली।
दिनांक 17 जुलाई,
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम ।
अत्र कुशलं तत्रास्तु । कई मास से आपका कुशल पत्र प्राप्त नहीं हुआ । घर में सभी इस बात से चिंतित हैं । माता जी विशेषकर आपके स्वास्थ्य के विषय में चिंता कर रही हैं। उनकी हार्दिक इच्छा है कि एक बार आप स्वदेश आकर बच्चों से मिल जाएँ । मैंने इस वर्ष प्रथम श्रेणी में उच्चतर माध्यमिक परीक्षा पास कर ली है । अब आगे बी०ए० ऑनर्स (हिंदी) में प्रवेश लेना चाहता हूँ । स्वाध्याय निरंतर चल रहा है । मैंने हंसराज कॉलेज में आवेदन-पत्र भरा है ।
मैं इस पत्र में कुछ लिखने का दुस्साहस कर रहा हूँ, उसके लिए क्षमा करेंगे । पिता जी स्वदेश की महिमा अनंत है । जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं । आप विदेश में भी रसायनशास्त्र के विभागाध्यक्ष हैं और यहाँ पधारने पर कम-से-कम प्रधानाचार्य का पद तो मिल ही जाएगा । आपकी प्रखर बदधि तथा विज्ञान के अनुभवों का भारतीय छात्र भी लाभ उठा सकें तो यह उनका सौभाग्य होगा । यही अच्छा होगा कि, आप यदि यहाँ पधारने की कृपा करें । यह परिवार के सदस्यों का भी अहोभाग्य होगा । सभी की पलकें आपकी प्रतीक्षा में बिछी हुई हैं।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
संजय कुमार