विवाह संबंध पक्का करने की सूचनार्थ पिता का पुत्र को पत्र
9, रश्मि कुंज,
हैदराबाद ।
दिनांक 18 मई, …. .
प्रिय ललित,
आनंदित रहो !
अत्र कुशलं तत्रास्तु । पिछले दो पखवाड़ों से तुम्हारा कोई कुशल समाचार नहीं मिला । इससे घर में सब चिंतित हैं । अपना कुशल समाचार कम से कम सप्ताह में एक बार तुम्हें अवश्य भेजते रहना चाहिए ।
तुम्हारी माता जी यह पत्र विशेष प्रयोजन से लिखवा रही हैं । एम०ए० परीक्षा के परिणाम के घोषित होते ही तुम्हारी नौकरी भी तैयार है । इस आजीविका के साधन की निश्चितता के कारण तथा तुम्हारी माता की निरंतर अस्वस्थता ने मुझे तुम्हारे विवाह संबंध को पक्का करने के लिए विवश कर दिया है। इस विषय को लेकर कई स्थान से प्रस्ताव आए । उन सबको मैं किसी-न-किसी तरह टालता रहा, पर बाबू गोपी नाथ को मना न कर सका । तुम तो जानते ही हो, उनकी मेरी मित्रता के संबंध में । फिर कनु प्रिया तुम्हारी देखी भाली और बचपन की साथिन है । इस वर्ष उसने अर्थशास्त्र से एम. ए. प्रथम वर्ष की परीक्षा दी है। लड़की सुंदर और सुशील है । गृह कार्य में दक्ष है । अपने मामा के यहाँ रहने के कारण इधर तुम पाँच वर्ष से उसे न देख सके हो। सगाई 25 जून को ली जाएगी । तुम पत्र को पाते ही सीधे घर चले आओ।
मुझे विश्वास है कि कनु प्रिया को जीवन संगिनी के रूप में ग्रहण करने में, तुम्हें किसी प्रकार की कोई आपत्ति न होगी । इस पर भी तुम्हारी स्वीकृति यथाशीघ्र पहुँचनी आवश्यक है ।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।
तुम्हारा पिता,
अमन कुमार