व्यायाम के लाभ बताते हुए छोटे भाई को पत्र
लाल कोठी
धान मंडी, मुरादाबाद
दिनांक 23 अगस्त,……
…… प्रिय संजय,
आनंदित रहो !
अत्र कुशलं तत्रास्तु । कल तुम्हारे विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय का पत्र मिला। उन्होंने लिखा है कि तुम विद्यालय के खेलों में कभी भी भाग नहीं लेते हो। पढ़ाई के कीड़े बने हुए हो। इसी कारण तुम्हारा स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरता जा रहा है। अभी तुम कोमल किसलय के समान हो और तुम्हें पता नहीं है कि विद्याध्ययन के साथ-साथ व्यायाम करना बहुत ही आवश्यक है । पुस्तकों का कीड़ा बनने से ही जीवन सफल नहीं हो जाता है। मैं इस पत्र में तुम्हें व्यायाम के लाभ बतला रहा हूँ। उन्हें पढ़कर तुम इसकी आवश्यकता से पूर्णतया अवगत हो जाओगे।
बंधु । जिस तरह कोई भी यंत्र निरंतर कार्य नहीं कर सकता है, उसे विश्राम और तेल की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह हमारा देह रूपी यंत्र भी निरंतर कार्य नहीं कर सकता। इसे स्वस्थ रखने के लिए विश्राम तथा संतुलित भोजन के साथ-साथ व्यायाम की भी आवश्यकता होती है । व्यायाम करने से हमारी देह हृष्ट-पुष्ट ही नहीं होती; बल्कि उसमें स्फूर्ति भी आ जाती है । देह के प्रत्येक अंग का विकास होता है और अनेक प्रकार के व्यायाम इस तरह के हैं, जिनसे मस्तिष्क का विकास भी होता है । यदि हर समय तुम अध्ययन में ही लगे रहोगे तो तुम पाठ को उतना शीघ्र याद नहीं कर सकते, जितना कि वह शिक्षार्थी कर सकता है, जो कि व्यायाम करता है । व्यायाम करने से मस्तिष्क स्वच्छ रहता है और स्वच्छ मस्तिष्क में कठिन से कठिन पाठ भी शीघ्र ही समझ में आ जाता है । इसके अलावा कार्य करने में मन लगता है । जो व्यक्ति व्यायाम करते हैं वे जीवन भर नीरोग रहते हैं । न उन्हें कब्ज़ की शिकायत होती है, न बादी की । रोग का मूल कारण कब्ज तथा बादी ही होते हैं।
व्यायाम के कई प्रकार हैं । प्रात:काल का भ्रमण, दौड़ लगाना, खेलों में भाग लेना, कुश्ती लड़ना तथा अन्य शारीरिक क्रियाएँ – जैसे आसन लगाना. दंड-बैठक लगाना आदि सभी व्यायाम हैं; किंतु विद्यार्थियों को प्रात:काल भ्रमण करना, दौड़ना, शीर्षासन लगाना, खेलों में भाग लेना आदि व्यायाम ही अधिक लाभदायक हो सकते हैं।
मुझे आशा है कि भविष्य में तुम नियमित रूप से व्यायाम करने का दृढ़ संकल्प करोगे । इससे तुम्हें विशेष आनंद मिलेगा और तुम्हारी इच्छा इस ओर बलवती होती जाएगी।
तुम्हारा बड़ा भाई,
राजीव