परीक्षा में पास होने पर पिता का पुत्र को प्रोत्साहन पत्र।
दिल्ली ।
दिनांक 15 जून, …..
प्रिय पुत्र रमन,
आनंदित रहो ।
कल तुम्हारी ‘निबंध प्रतियोगिता’ का परिणाम घोषित हुआ। ‘नवभारत टाइम्स’ में तुम्हारा नाम प्रथम पुरस्कार के लिए देखकर परिवार के सभी लोगों को आपार हर्ष हुआ । आज तुमने अपना नाम सार्थक कर दिखाया । मैं बचपन में जिस इच्छा को पूर्ण नहीं कर सका था, वह इच्छा आज तुमने पूर्ण कर दिखाई है। निबंध लेखक के ज्ञान की कसौटी है। निबंध लिखना अभ्यास से आता है। तुमने भी इस प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने के लिए काफ़ी अभ्यास किया है, ऐसा इसके परिणाम से लगता है। यही अभ्यास तुम्हारे जीवन में पग-पग पर काम आएगा । तुम इसका संबल पाकर निरंतर उन्नति करते जाओगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
तुम्हारी इस सफलता को देखकर श्रय और श्रुति भी विदयालय में होने वाली निबंध प्रतियोगिता की तैयारी में लग गए हैं। तुम्हारी इस सफलता ने उनके बाल-हृदय में विशेष उत्साह भर दिया है। तुम्हारी माता जी ने उपहार स्वरूप देने के लिए एक सुंदर-सी रिस्टवॉच रखी हुई है, यहाँ आओगे तो मिलेगी ।
किसी भी आवश्यक वस्तु के लिए निस्संकोच लिख दिया करो ।
तुम्हारा स्नेही पिता,
सुरेश कुमार